Friday, April 12, 2013
Sunday, March 10, 2013
बुझा ना देना
ज्योति पुँज यह ज्योति ने जलकर जलाया इसे है
बुझा ना देना ज्योति पुँज यह ज्योति ने जलकर जलाया इसे है
बेटी, बहन, माँ बनकर सदियों से लुटाई है ममता इसने
पाया ना कभी
सम्मान उसने, अबला बनकर सहा हर प्रहार उसने
स्नेह और
सुरक्षा के भ्रम में उसके ही परिवार ने कुचला है व्यक्तित्व उसका
असतित्व
छिनता, बिखरता रहा उसका हर गली, हर शहर में
लूटने वाले
हाथ भी कोई और नहीं, उसके अपने ही अधिकारी, सत्ताधीन रहे हैं
लुटने वाले
नाम अनेक हैं, हर गली, हर शहर में सुने हैं
एक नाम सुना
है, सोनी सूरी, जो लुटी है, छली है अपने ही सत्ताधीन के हाथों से
माँग रही है
इंसाफ बनकर एक नारी शक्ति WRise
कदम उसके उठ
चुके हैं नहीं रूकेंगे, नहीं थमेंगे
न्याय के
लिये उठे ये कदम नहीं रूकेंगे
नहीं
झुकेंगे किसी अन्याय के समक्ष
सक्षम है हर
क्षेत्र में एक नारी
फिर उसकी
आज़ादी क्यों है समाज पर भारी
आज़ादी,
सम्मान, प्रतिष्ठा की वो है अधिकारी
मिले उसको
उसके हिस्से की हकदारी
नहीं तो
पड़ेगी हर नारी शक्ति समस्त विश्व पर भारी
क्योंकि जल
रहा है ज्योतिपुँज यह ज्योति ने जलकर जलाया जिसे है
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