मौसम आज सर्द हुआ है
मौसम आज सर्द हुआ है
हवा रुख़ी , ख़ुश्क हो चली है
कहाँ से चली आ रहीं हैं ये ख़ुश्क बेरहम हवाएँ
अभी तो ठंडी ठंडी कूल कूल आइसक्रीम की ठंडक जुबान से गयी नहीं और सर्द हवाएं दस्तक देने लगी
मौसम की बेरहम हवाएं कहीं दूर से आती जान पड़ती हैं
जहाँ उन्मुक स्वरों को शान्त कर दिया गया और हवा सर्द हो गई
लोग दोषी और दोष का प्रत्यारोपण करने में व्यस्त हो गए
एक सत्ताधारी दूसरे पर दोष लगाकर भोली जनता को उलझाने में व्यस्त हो गए
यहॉँ हवाएँ सर्द और बेरहम हो गयीं तो क्या
एक उन्मुक्त स्वर शान्त हुआ तो क्या
एक शख़्स चला गया तो क्या
स्वतन्त्र आवाज़ों और विचारों को कभी दबाया जा सका है क्या
यह तो वो ज्वाला है जो एक चिता की लपटों से निकलती है और हर क्रन्तिकारी के सीने की दबी चिंगारी को सुलगा देती है
एक क्रन्तिकारी सच की आवाज़ को ख़ामोश किया तो क्या किया
उसकी विचारधारा और सिद्धांत तो उसकी चिता की लपटों से पूरी क़ायनात में बिख़र गये
इन बिख़रे विचारोँ को समेट कर फ़िर नई ज्वाला उठेगी
स्तधारीओं को चेतावनी है कितना भी नष्ट करो तुम संघर्ष तो जारी ही रहेगा मुखड़ा सिर्फ बदल जायेगा
इन सर्द हवाओँ के साथ शीत हिम और बादल भी घुमड़ घुमड़ रहें हैं
हिम से लिपटी क़ायनात भी इस स्वतन्त्र आवाजों के शोर को शायद अब दबा ना पायेगी
सर्द और ख़ुश्क हवाएं और बेरहमी से बहने लगी हैं अब
हवा रुख़ी , ख़ुश्क हो चली है
कहाँ से चली आ रहीं हैं ये ख़ुश्क बेरहम हवाएँ
अभी तो ठंडी ठंडी कूल कूल आइसक्रीम की ठंडक जुबान से गयी नहीं और सर्द हवाएं दस्तक देने लगी
मौसम की बेरहम हवाएं कहीं दूर से आती जान पड़ती हैं
जहाँ उन्मुक स्वरों को शान्त कर दिया गया और हवा सर्द हो गई
लोग दोषी और दोष का प्रत्यारोपण करने में व्यस्त हो गए
एक सत्ताधारी दूसरे पर दोष लगाकर भोली जनता को उलझाने में व्यस्त हो गए
यहॉँ हवाएँ सर्द और बेरहम हो गयीं तो क्या
एक उन्मुक्त स्वर शान्त हुआ तो क्या
एक शख़्स चला गया तो क्या
स्वतन्त्र आवाज़ों और विचारों को कभी दबाया जा सका है क्या
यह तो वो ज्वाला है जो एक चिता की लपटों से निकलती है और हर क्रन्तिकारी के सीने की दबी चिंगारी को सुलगा देती है
एक क्रन्तिकारी सच की आवाज़ को ख़ामोश किया तो क्या किया
उसकी विचारधारा और सिद्धांत तो उसकी चिता की लपटों से पूरी क़ायनात में बिख़र गये
इन बिख़रे विचारोँ को समेट कर फ़िर नई ज्वाला उठेगी
स्तधारीओं को चेतावनी है कितना भी नष्ट करो तुम संघर्ष तो जारी ही रहेगा मुखड़ा सिर्फ बदल जायेगा
इन सर्द हवाओँ के साथ शीत हिम और बादल भी घुमड़ घुमड़ रहें हैं
हिम से लिपटी क़ायनात भी इस स्वतन्त्र आवाजों के शोर को शायद अब दबा ना पायेगी
सर्द और ख़ुश्क हवाएं और बेरहमी से बहने लगी हैं अब