दर्द में हँसी
मेरी प्यारी सखी तुम्हारे इसरार पर
कौन सा गीत सुनाऊँ ?
ज़ख्मों से छलनी इस दिल से
आह नहीं निकलती
हैरान है ‘नीशी’ कि
ये हँसी के झरने कैसे फूट रहे हैं ?
शायद ये दिल शिव का वरदान पा गया है
जो दर्द को ठहाकों में वदल गया है
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