Friday, December 16, 2016

उम्मीदों भरी शाम आई है 

नूतन वर्ष को दस्तक दे रही उम्मीदों भरी शाम आई है

 नूतन वर्ष में  उम्मीदों की नूतन छवि बनेगी

अबला नारी और बनेगी सबला अब

सीता नहीं बनेगी वह किसी राम से निष्काषित होने को

नहीं बनेगी वह द्रुपदी किसी दुशाशन से चीर हरन के लिए

राधा नहीं बनेगी वह अब जो कृष्ण से अंबियाही रह जाये

श्रापित  अहल्या नहीं बनेगी किसी राम से तर जाने को

दान -दहेज की बस्तु बन नीलामी पर नहीं चढ़ेगी वह

 सृजन की शक्ति का दायित्व लेकर जन्मी है वह
 
अपने कोमल हाथोँ के  ममतामई स्पर्श से सुला दे अपने थके हारे शिशु को

उस नारी में शक्ति है असीम

नदिओं का  मुख मोड़ दे वह

पहाड़  कांपे उसकी चित्कार सुनकर

उसके मौन को ना समझो उसकी कमजोरी

 शक्ति रूपिणी सृजानकारिणी उसमें है दुर्गा उसमें है काली उसमे है ममतामई माँ समाई

बेटी , बहन ,पत्नी कितने ही उसने रूप धरे

हर रूप ने  घर आँगन अलौकित कर डाले

ऐसा रौशन बना रहे हर घर हर आँगन

पहचान सकें हम अपने घर आँगन की  शक्ति रूपिणी

नूतन वर्ष को दस्तक दे रही उम्मीदों भरी शाम आई है

 नूतन वर्ष में  उम्मीदों की नूतन छवि बनेगी

अबला नारी और बनेगी सबला अब




 


 

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