Sunday, October 19, 2014

दादी नहीं सुनाती दीवाली की कहानी 

दादी नहीं सुनाती दीवाली की कहानी 

क्योंकि नहीं देखने को मिलती चारों भाईओं की जोड़ी किसी भी घर में अब 

अटूट प्रेम का बंधन टूटा , हार-जीत की होड़ लगी है सबमें 

मंथरा की कूटनीति की कुटिलता दिखती है हर घर में 

कैकई की डाह जल रही है हर घर मेँ, हर गली मेँ 

लेकिन कहीं कहीं ही मिलती है कौशल्या और सुमित्रा माता की ममता की छईयाँ 

स्वार्थों के घेरे मेँ बंध कर दम तोड़ रहें हैं सब रिश्ते प्यारे 

भगवान राम बनवास जाने को तैयार खड़े हैँ न्यारे 

पर नहीँ दिखती है कहीँ पर भी लक्ष्मण की निष्ठा और भक्ति प्यारे 

सीता सहते-सहते थक गई है और बनवास से पहले ही अलग हुई है अपने प्यारे राम से 

दादी नहीं सुनाती दीवाली की कहानी 

क्योँकि राम लक्ष्मण -सीता की कोई भी एक जोड़ी बनवास से लौट कर अयोध्या की ओर नहीं आती 

आस देखती बैठी है अब दादी 

दादी नहीं सुनाती दीवाली की अब कोई कहानी 


1 comment:

neeshi said...

I wrote it on the occasion of Diwali Eid Festival on 18th october,2014