Sunday, January 10, 2016



खोई पहचान

अमेरिका में आकर मैं अपनी पहचान खो बैठी हूँ

नौकरी की तलाश में अपनी संस्कृति पीछे छोड़ आई हूँ

साड़ी छोड़ कर पैंट -शर्ट में घूम रही हूँ

साड़ी में जो अंग गरिमा छलकाते थे पैंट -शर्ट मेँ  वे बेडोल छवि दिखला रहे हैं
अमेरिका में आकर मैं अपनी पहचान खो बैठी हूँ

अपनी प्यारी मीठी-मीठी सी हिन्दी भाषा को विदा कर गिटपिट अँग्रेजी की झड़ी लगा रही हूँ

साहिब की भाषा में साहिब को समझा रही हूँ

नौकरी पाने का हर प्रयास कर रही हूँ

रहने के लिये रह रही हूँ सहने के लिये सह रही हूँ

अमेरिका में आकर मैं अपनी पहचान खो बैठी हूँ

अमेरिका में आकर मैं अपनी पहचान खो बैठी हूँ

पहनावा बदला भाषा बदली  राष्ट्रीयता भी अपनी बदल डाली

पूछे कोई तो हर साक्षात्कार में कहती हूँ

मैं अमेरिका की नागरिक हूँ इस पद के लिये सबसे योग्य व्यक्ति मैं ही हूँ
साहिब की भाषा में साहिब को समझा रही हूँ

अमेरिका में आकर मैं अपनी पहचान खो बैठी हूँ

अमेरिका में आकर मैं अपनी पहचान खो बैठी हूँ

पहनावा बदला भाषा बदली यहाँ तक की अपनी राष्ट्रीयता भी मैंने बदल डाली

सब कुछ कर डाला पर अपनी चमड़ी का रंग बदल ना पाई

सब कुछ कर डाला पर अपनी चमड़ी का रंग बदल ना पाई

जो हर साक्षात्कार में हर बार ,बार -बार एक ही प्रश्न खड़ा कर देता है

किस देश से आई हो ?

क्या चमड़ी का रंग साथ लाई हो ?

क्या भारत से आई हो ?

हाँ मैं भारत से आई हूँ अपनी चमड़ी का रंग भारत से ही लाई हूँ

हाँ मैं गर्व से कहती हूँ कि मैं भारत की बेटी हूँ यही मेरी सही पहचान है

बाकी सब आडंबर है नौकरी पाने का इक असफल प्रयास मात्र है

ऐसा आडंबर को मैं छोड़ती हूँ नौकरी को रद्दी की टोकरी में डालती हूँ

हाँ मैं गर्व से अपनी चमड़ी के रंग की  जयकार करती हूँ क्योंकि उसमे ही

  मेरी खोई पहचान छुपी जिसको मैं और छुपाना नहीं चाहती हाँ  मैं भारत की बेटी हूँ यही मेरी सही पहचान है

No comments: