Friday, January 20, 2017



हर वक्त बदल जाता है बदलना हमें नहीं भाता है
हर वक्त बदल जाता है 
बदलना हमें नहीं भाता है 
अपना आरामदेह कोना ही हमें भाता है 
बदलना हमें नहीं भाता है
 हर नयापन हमें डरा जाता है 
अन्होनि आशंकायों से हमारा पुराना नाता है 
बदलना हमें नहीं भाता है 
हर वक्त बदल जाता है 
ऋतुएँ ने बदनलना नहीं छोड़ा 
पेड़ों के बदले परिधानों संग हमने अपनी पौशाकों को हर बार बदला है 
फिर बदलना हमें क्यों नहीं भाता है 
दिन भर रौशनी बिखेरने के बाद सूरज भी सो जाता है 
हर वक्त बदल जाता है 
बदलना हमे क्यों नहीं भाता है 
हर वक्त बदल जाता है 
सत्ता भी बदल गई है आज 
हम डरे सहमे क्यों हैं 
अधिकारों की वही पुरानी जंग है 
जंग आज भी जारी है 
इस जंग पर डर और आशंकाओं का जंग ना लगने देंगे हम कभी
क्यों हम अपना आरामदेह कोना छिन जाने से सहम रहे है 
जो कोना हमारा अस्तित्व है उसे कोई सत्ता छिन सके 
ऐसे भी कमज़ोर नहीं हुए है हम 
अपने अधिकारों को क़ायम रखना हमें आता है  
अपने अस्तिव को किसी भी सत्ता के आगे झुकने नहीं देंगे 
जंग आज भी जारी है 
सत्ता बदले बदले मौसम हम हम ही हैं हम ही रहेंगे