Monday, December 21, 2020

Saturday, November 7, 2020

Sunday, November 1, 2020

Monday, August 10, 2020

Monday, July 20, 2020

Sunday, July 19, 2020

Sunday, July 12, 2020

Saturday, July 11, 2020

Tuesday, June 30, 2020

Friday, June 19, 2020

Sunday, May 31, 2020

Monday, May 18, 2020

सतयुग की सीताजी कलयुग में 

रामराज्य कलयुग में होता  तो क्या होता
कैसा होता सीताजी का जीवन
रामराज्य के आने से कलयुग में राजा दशरथ की एक ही रानी कौशलया होतीं
राम का बचपन माता कौशलया की दुलार भरी आंचल की छाँव में बीतता
उन्हें ज्ञान पाने के लिये गुरुकुल ना जाना पड़ता
गूगल से ही सारा ज्ञान मिल जाता
राजा जनक को पुत्री पाने के लिये खेतों में हल ना चलाना पड़ता  
तकनीकी अविष्कार बहुत मदद करता
केवल उसकी भ्रूण में हत्या होने से बचाना पड़ता
सीताजी को पाकर धन्य जनक उनकी शिक्षा और विकास के लिये सारी सुख सुविधाओं को जुटा देते
सीताजी को पूजा के लिये पुष्प चुनने पुष्प वाटिका में ना जाना पड़ता
ऑनलाइन में ही पुष्पों का आर्डर कर देतीं
राम के दर्शन फेसबुक़ पर कर लेतीं
नयनों की प्यास बुझ जाती
ना कोई वादे होते ना कसमें होती
प्यार और समर्पण ही होता
सीताजी को बारम्बार अग्नि परीक्षा ना देनी पड़ती
टीवी, समाचार पत्रों से जंगल , महल और सीताजी -रामजी की जीवनी का ज्ञान जनता को होता रहता
माता सीता को गर्भावस्था में वनगमन ना करना पड़ता
दुलारों में लव कुश का पालन होता और अपनी और अपनी माता श्री की पहचान बताने की विवशता ना झेलनी पड़ती
 वैज्ञानिक  सुख सुविधाओं के रहते कोई रावण उनका अपहरण ना कर पाता
बन चंडी वो स्वयं ही उसका संहार कर देती राम को मनुहार और पुकार ना करती
कलयुग में सीता माता की पीड़ा कुछ कम हो जाती गर वो कलयुग में आ जातीं।

Tuesday, May 12, 2020

कॅरोना की जंग जारी है शायद यही न्याय कहलाता है 
मन्दिरों में शंख और घंटियाँ नहीं बजतीं
मस्जिद से अजान नहीं गूंजती
चारोँ ओर फ़ैली है तन्हाई
कॅरोना ने अपनी दहशत विश्व में फैलाई है
सालों से हम मनुष्यों ने प्रकृर्ति पर जो अत्याचार किया
उसको अब न्याय मिला है
नदिओं का जल निर्मल हो कर छल छल बह रहा है
सत्तर सालों से बिगड़ी ओज़ोन की पर्त भर गयी है
हवा शुद्ध स्वतंत्र झूम रही है
फूल खिल खिल कर मुस्करा रहें है
बरसों बाद प्रकृर्ति को न्याय मिला है
भले ही हम मनुष्यों को करोना कोई सज़ा से बढ़ कर नहीं है
 कॅरोना ने अपनी दहशत विश्व में फैलाई है
इंसानों को छह फुट की दूरी दिलाई है
हाथ ना मिलाइये नमस्कार ही कीजिए
तन दूर हुए तो क्या मन में दूरी ना लाइए
फ़ोन उठाइए और मानचाहों से जी भर फेस टाइम कीजिये
परिवार और परिजन जो साथ हो कर भी दूर थे
उनसे मुखातिब होकर झेलिये और झेलने लायक बनिए
नहीं तो अपने घर में ही बेगाने ना कहलाने लगियै
यही न्याय कहलाता है
समय के आभाव वाली व्यस्त जिंदगी को अब लगी ब्रेक है
समय को समय से पड़ी धूल भरी किताबों की धूल झाड़ने में लगाईय
क्या मालूम किसी किताब का मुड़ा पन्ना जीवन की कोई याद से झोली भर दे
शायद माँ ने नाश्ते की मेज़ से पुकारा माँ अब तो दिखती नहीं पर मुड़ा पना नाश्ते की खुशबू  याद दिला गया
शीशे में चिपकी बिंदिओं की गोंद के धुलने का वक्त आया है
फिर किसी बीती रात के जशन की याद लाया है
धूल भरी वीडियो में कुछ वीडियो झाँक रहें है जो दोस्तों से उधार मांगे और लौटाए ही नहीं
वक्त के आभाव में बिन देखे ही रह गये अब उन्हें लौटने का समय है
क्योंकि समय ही समय है पुराने टूटे रिश्ते और नातों को जोड़ने का समय है
फेस टाइम करो या वीडियो चैट करो या ढेरों को एक ही बार में ज़ूम से निपटा दो
समय ही समय है कोई बचने का बहाना ही नहीं है
समय के आभाव में कितने ही शौक़ मन में दबे रह गये उनको पूरा करने का समय है
यू ट्यूब में हर किस्म, कला , नृत्य , खेल किसी का आभाव नहीं
नाचो गायो खेलो कूदो कोई साथ ना दे तो कंप्यूटर के सामने एकेले ही शुरू हो जाओ
समय ही समय है
पुराने पारधानो को धो कर या काट कर नवीन रूप दे दो
क्योंकि समय ही समय है
सब कुछ करने की छूट मिली है
बस अपनी हदो में रहो
छ फुट की दूरी ना लाँघो
करोना ने आज लछमन रेखा खींची है
इंसानों को छह फुट की दूरी दिलाई है
हाथ ना मिलाइये नमस्कार ही कीजिए
तन दूर हुए तो क्या मन में दूरी ना लाइए
हंसिए और सबको हंसाइए
यही न्याय कहलाता है
वास्तविक ना सही काल्पनिक क्रियाकलाप में व्यस्त रहिए
क्योंकि अब तो कॅरोना है समय ही समय है
सन्तोष इतना है कि बरसों बाद प्रकृर्ति को न्याय मिला है
प्रकृर्ति  का रूप निख़र निख़र जा रहा है



Tuesday, March 10, 2020

 शाहीन बाग  की वीरांगनायें 
 
आज हमारी प्यारी दिल्ली में हिंदुस्तान का दिल धड़कता है

हमारी प्यारी सरकार को आज शाहीन बाग़ खटकता है

 शाहीन बाग में बैठी वीरांगनाओं की गुहार पूरे देश में गूँज उठी है

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

देखना है ज़ोर कितना बाजुए सरकार में है  

यह जंग नहीं यह तो संविधान में अंकित हक़ की पुकार है

संविधान कहता है कि भारत में हर धर्म के व्यक्ति को सम्मान से जीने का हक है 

जहाँ हमारे शीश पर लगे तिलक की शोभा टोपी से सजती है

उस शीश को तुम नग्न ना करो भाई को भाई से जुदा ना करो

जिस थाली में हलुआ पूरी के संग हलीम और सेवाईओं का नाम नहीं

उस घर  में राम रहीम नहीं

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

देखना है ज़ोर कितना बाजुए सरकार में है

यह जंग नहीं हर इन्सान की हक की पुकार है

सबको रुलाने वाला प्याज़ आज रो रहा है

पोहो से जुदा हो कर दुःखी हो रहा है

कहता है अबके बिछड़े कब मिलेंगे जैसे सूखे फूल मिलें किताबों में  

रोटी सूख कर प्याज़ को पुकार रही है

के घर कब आओगे तुम बिन सूना थाल हमारा

प्याज़ का आश्वाशन है मैं वापस आऊंगा

रोटी के आंसुओं से भीगी हरी मिर्ची खो बैठी अपना तीखापन

ऐसी बेस्वाद थाली ही एक ग़रीब के लिये जुटा पाई है सरकार हमारी सत्तहतर सालों में

लानत नहीं तो और क्या है यह

भले ही सरकार चाँद पर अपना यान भेज देने की सामर्थ हासिल कर ले

पर अनाज का उत्पादन करने वाला किसान जमीन बेचने पर मजबूर हो जाये तो ऐसी  आज़ादी  बेकार है 

पेड़ और खेत खलियान नष्ट कर बड़े बड़े मॉल खोल देना ऐसी तरक्की बेकार है 

आम जनता और उनकी जरूरतें नजरअंदाज करना ऐसी  सरकार बेकार है 

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

देखना है ज़ोर कितना बाजुए सरकार में है

हमारा अस्तित्व किसी कागज़ के टुकड़े का मोहताज़ नहीं है।

वोह तो हमारे ख़ून और पसीने के रूप में इस मिटटी में घुल कर उसे सींच रहा है 

उस मिटटी को कुरेद कर भेद भाव और नफ़रत की आंधी ऐसी ना उड़ाओ कि

अचकन कुरता धोती टोपी सब चटक चटक  कर तार तार हो जाएं

सलवार और गरारा अलग रास्ते चल पडे तो बेचारा हिजारबन्द सोच में पड़ जायेगा की मैं इधर जायूँ या उधर जायूँ
क्यूँ ना बीच में ही मर जायूँ

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

देखना है ज़ोर कितना बाजुए सरकार में है

नोटबंदी अभियान में भी किसी अंबानी और अडानी को सरकार नहीं पकड़ पाई है

बल्कि गरीब जनता ही पीसी गई है

और गुरबत में काम आने वाली लछमि को श्री हीन कर दिया है

ग़रीब जनता को इतना भी ना पीसो की प्रकृति भी अपना संतुलन खो बैठे
और सब कुछ उलट पुलट कर नष्ट हो जाये

 कहीं पूरा देश ही शाहीन बाग में ना बदल जाये।

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है\

देखना है ज़ोर कितना बाजुए सरकार में है