Tuesday, August 17, 2010

दर्द में हँसी

दर्द में हँसी

मेरी प्यारी सखी तुम्हारे इसरार पर

कौन सा गीत सुनाऊँ ?

ज़ख्मों से छलनी इस दिल से

आह नहीं निकलती

हैरान है नीशी कि

ये हँसी के झरने कैसे फूट रहे हैं ?

शायद ये दिल शिव का वरदान पा गया है

जो दर्द को ठहाकों में वदल गया है

No comments: