Saturday, November 18, 2017

मेरे सपने
मुझसे प्यार करते हैं मेरे सपने

मूंदी हुई पलकों के साये में पलते हैं मेरे सपने

परछाईं बनकर मेरा पीछा करते हैं मेरे सपने 

चीर की तरह दिन दिन बढ़ते हैं मेरे सपने 

मेरी बंद मुठ्ठी में से रेत की मानिंद फ़िसल जातें हैं मेरे सपने 

आँचल में पिरोए सितारों से दमकते रहते हैं मेरे सपने 

हर पल मुझे गुदगुदाते हैं मेरे सपने 

रात की तन्हाईओं में करवट लेते हैं मेरे सपने 

इसी आशा में जीती हूँ  मैं  कि  कभी तो सच होंगे मेरे सपने 

मुझसे प्यार करतें हैं मेरे सपने 

क्या कभी सच होते हैं  सपने 

आस ही ना टूटी जिसकी 

वक्त से ना थका जो 

सच हुए सपने उसके

हाँ वक्त के साथ चलते चलते कुछ सच हुए मेरे सपने 

कुछ गुम हुए वक्त के साथ चलते चलते  मेरे सपने 

शुक्राने की रात में हम शुक्राना करतें अपने उन सच हुए सपनों का 

भूला देते हैं उन गुम शुदा फ़िसलते अधूरे सपनों को आज की रात 

क्योंकि आज है शुक्राने की रात 

कल फ़िर एक नई सुबह लेकर आयेगी फ़िर नए सपनों की बारात 

हमें उस सुबह का है इंतज़ार

1 comment:

neeshi said...

First draft wrote on 2/10/05 edited on 11/17/2017
for sub continentdrift open mic 11/17/2017