Saturday, March 9, 2019

मेरे वीर को आ जानेदे बाबुल 
मेरे वीर को आ जाने दे बाबुल 

रोक ले एक दिन डोली कहारों

कितना कुछ है कहना तुमको वीरा

तुम्हारी आने की राह तकती थकती अखीआं

बचपन के नेह से भीगे पल

फिर एक बार आज संग जी लें

वो छत पर कागज़ के जहाज़ उड़ाना

उड़ते जहाजों संग बिखर जाते थे हमारे सपने हवा में

आओ आज जाने से पहले बताऊँ तुम्हें कितने सपने सच हुए हमारे

आज विदा हुई जो बहन तुम्हारी

हो जायेगी फ़िर पराई

ना यह घर उसका अपना होगा ना यह आंगन कल

इस आँगन में बैठ कर अपना बचपन आँचल में पिरो लेने दो मुझे  

मोटे मोटे उपन्यास पढ़ कर खत्म करने की होड़ में रात रात भर जागना

सुबह अख़बार के साथ चंदामामा, पराग , धर्मयुग और अन्य पत्रिकायें  

पहले लपक लेने 

की होड़ में सीढ़ियों में छूप छूप कर बैठना 

उन रंग बिरंगी पत्रिकाओं की कहानिओं में खो जाना 

पिताजी के पूछने पर एक दूसरे के ज्ञान अज्ञान की खिल्ली उड़ने पर 

एक दूसरे के आंसू पोछना याद करलें आज

हाथ में हाथ थाम कर चाट के ठेलों पर जाना

तीख़ी चाट चटनी चाट चाट कर खाने के बाद चाट वाले से मीठा लड्डू   

माँगना

 लड्डू के साथ उसका झिड़कना और हमारा खिल खिल कर हँसना

आओ वो पल फिर से जी लें

डाकिए का इंतजार करना

मौसी के  अंतरराष्ट्रीय पत्र के साथ विदेशी डाक टिकट पाने की ख़ुशी

  होली आने से पहले रात को तुम्हारे लिये पिचकारिओं में रंग भरना

रात जाग कर तुम्हारे लिये  मंगल कामना करना  

भाईदूज में अपने हाथोँ बनी मिठाई खिला कर नेग में मिले पैसों से सिनेमा 

देखने जाना

पैंट की क्रीज़ बिगड़ने पर तुम्हारा नाराज़ होना और फ़िर चाट खिला कर 

रूठी बहन को मनाना 

ससुराल में सास की झिड़किओं बीच बहुत याद आयेगा 

आओ उन पलों को एक बार फिर से जी लें

नवरात्री में रात को नंगे पावं मंदिर में जाना  

पूजा अर्चना के बाद प्रसाद ज्यादा पाने की होड़ में कतार में धक्का मुक्की 

करना

पिताजी के साथ तोता उड़ , कौआ उड़ खेलते खेलते भैंस उड़ाना

आऔ उन खिलखिलाते पलों को याद कर फिर एक बार खिलखिला लें

गर्मी की दुपहरी में लूडो और ताश के खेल में हारने पर

 मटके के पानी से सबके लिये निम्बू पानी बनाना

उस सज़ा में भी एक मजा था उसमें हार का गम नहीं था

पर आज बार -बार पुकारने पर भी तुम्हारे ना आने का गम बहुत अधिक है


 

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