सतयुग की सीताजी कलयुग में
रामराज्य कलयुग में होता तो क्या होता
कैसा होता सीताजी का जीवन
रामराज्य के आने से कलयुग में राजा दशरथ की एक ही रानी कौशलया होतीं
राम का बचपन माता कौशलया की दुलार भरी आंचल की छाँव में बीतता
उन्हें ज्ञान पाने के लिये गुरुकुल ना जाना पड़ता
गूगल से ही सारा ज्ञान मिल जाता
राजा जनक को पुत्री पाने के लिये खेतों में हल ना चलाना पड़ता
कैसा होता सीताजी का जीवन
रामराज्य के आने से कलयुग में राजा दशरथ की एक ही रानी कौशलया होतीं
राम का बचपन माता कौशलया की दुलार भरी आंचल की छाँव में बीतता
उन्हें ज्ञान पाने के लिये गुरुकुल ना जाना पड़ता
गूगल से ही सारा ज्ञान मिल जाता
राजा जनक को पुत्री पाने के लिये खेतों में हल ना चलाना पड़ता
तकनीकी अविष्कार बहुत मदद करता
केवल उसकी भ्रूण में हत्या होने से बचाना पड़ता
सीताजी को पाकर धन्य जनक उनकी शिक्षा और विकास के लिये सारी सुख सुविधाओं को जुटा देते
सीताजी को पूजा के लिये पुष्प चुनने पुष्प वाटिका में ना जाना पड़ता
ऑनलाइन में ही पुष्पों का आर्डर कर देतीं
राम के दर्शन फेसबुक़ पर कर लेतीं
नयनों की प्यास बुझ जाती
ना कोई वादे होते ना कसमें होती
प्यार और समर्पण ही होता
सीताजी को बारम्बार अग्नि परीक्षा ना देनी पड़ती
टीवी, समाचार पत्रों से जंगल , महल और सीताजी -रामजी की जीवनी का ज्ञान जनता को होता रहता
माता सीता को गर्भावस्था में वनगमन ना करना पड़ता
दुलारों में लव कुश का पालन होता और अपनी और अपनी माता श्री की पहचान बताने की विवशता ना झेलनी पड़ती
वैज्ञानिक सुख सुविधाओं के रहते कोई रावण उनका अपहरण ना कर पाता
बन चंडी वो स्वयं ही उसका संहार कर देती राम को मनुहार और पुकार ना करती
कलयुग में सीता माता की पीड़ा कुछ कम हो जाती गर वो कलयुग में आ जातीं।
केवल उसकी भ्रूण में हत्या होने से बचाना पड़ता
सीताजी को पाकर धन्य जनक उनकी शिक्षा और विकास के लिये सारी सुख सुविधाओं को जुटा देते
सीताजी को पूजा के लिये पुष्प चुनने पुष्प वाटिका में ना जाना पड़ता
ऑनलाइन में ही पुष्पों का आर्डर कर देतीं
राम के दर्शन फेसबुक़ पर कर लेतीं
नयनों की प्यास बुझ जाती
ना कोई वादे होते ना कसमें होती
प्यार और समर्पण ही होता
सीताजी को बारम्बार अग्नि परीक्षा ना देनी पड़ती
टीवी, समाचार पत्रों से जंगल , महल और सीताजी -रामजी की जीवनी का ज्ञान जनता को होता रहता
माता सीता को गर्भावस्था में वनगमन ना करना पड़ता
दुलारों में लव कुश का पालन होता और अपनी और अपनी माता श्री की पहचान बताने की विवशता ना झेलनी पड़ती
वैज्ञानिक सुख सुविधाओं के रहते कोई रावण उनका अपहरण ना कर पाता
बन चंडी वो स्वयं ही उसका संहार कर देती राम को मनुहार और पुकार ना करती
कलयुग में सीता माता की पीड़ा कुछ कम हो जाती गर वो कलयुग में आ जातीं।
1 comment:
May 16th 2020 on zoom reading at Ramayan Forum
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