धरती धरा का सम्मान करें आओ मिलकर पेड़ लगायें
आज धरा फिर खिल उठी है महक रही है हर बगिआ हर उपवन
फूल खिले हैं चहुं ओर पीले सफेद फूलों में अम्बर को छूने को होड़ लगी है जैंसे
सूरज की लालिमा से दहक रहीं हैं चटक रही है चेरी की हर कली
कहीं गेंदा , कहीं चम्पा कहीं चमेली कहीं हरसिंगार महक रहा है
कहीं मोगरा , कहीं गुलमोहर, कहीं कनेर , कहीं गुलाब खिले हैं
लाल, पीले , नारंगी गुलाबी और कहीं बैंगनी फूल महक रहें हैं
धरती का हर कोना सुन्दर फूलों की छटा बिखेरता मुस्करा रहा है
हमारे संग धरा भी मंद -मंद मुस्करा रही है
रंग बिरंगे फूलों के मद्य हरे पेड़ों की छाया झलक रही है
मानो धरा की हरी चूनर पर प्रकृति ने लाल , पीले , नारंगी , बैंगनी नगीने जड़ दिये हों
कुछ गहरी कुछ हल्की पीली और भूरी शाखाएँ धरती से बाहर आने को मचल रहीं हैं
सूरज की लालिमा की आस में बैठी हैं शायद
यह भूरी हरी शाखाएँ मिलकर हमें हमारे जीवन के जनम मरण का शाश्वत सत्य दर्शाती हैं
धरती के इस सुन्दर रूप पर हमारी सरकार ने अपनी कुदृष्टि डाल दी है और इस सुन्दरता को नष्ट करने चली है
लेकिन धरती की धरा का हर जन आज जागरूक है
इस सुंदरता को बक़रार रखने में जुटा है , तीन आर अपना रहा है
आज़ हम मिलकर अपनी धरा का सम्मान करें हम आओ मिलकर पेड लगाएँ
अपनी तंदरूस्ती को फिर पाएं अपनी संतति को खुशहाल वातावरण प्रदान करें
आओ मिलकर पेड़ लगायें और अपनी धरती धरा
को सम्मान दिलाएं।