Sunday, May 14, 2017

धरती धरा  का सम्मान करें आओ मिलकर पेड़ लगायें 

आज धरा फिर खिल उठी है महक रही है हर बगिआ हर उपवन

फूल खिले हैं चहुं ओर पीले सफेद फूलों में अम्बर को छूने को होड़ लगी है जैंसे

सूरज की लालिमा से दहक रहीं हैं चटक  रही है चेरी की हर कली

कहीं गेंदा , कहीं चम्पा कहीं चमेली कहीं हरसिंगार महक रहा है

 कहीं मोगरा , कहीं गुलमोहर, कहीं  कनेर , कहीं गुलाब खिले हैं

लाल, पीले , नारंगी गुलाबी और कहीं बैंगनी फूल महक रहें हैं

धरती का हर कोना सुन्दर फूलों की छटा बिखेरता मुस्करा रहा है

हमारे संग धरा भी  मंद -मंद मुस्करा  रही है

रंग बिरंगे फूलों के मद्य हरे पेड़ों की छाया झलक रही है

मानो धरा की हरी चूनर पर प्रकृति ने लाल , पीले , नारंगी , बैंगनी नगीने जड़ दिये हों

कुछ गहरी कुछ हल्की पीली और भूरी शाखाएँ धरती से बाहर आने को मचल रहीं हैं

सूरज की लालिमा की आस में बैठी हैं शायद

यह भूरी हरी शाखाएँ मिलकर हमें हमारे जीवन के  जनम मरण का शाश्वत सत्य दर्शाती हैं

धरती के इस सुन्दर रूप पर हमारी सरकार ने अपनी कुदृष्टि डाल दी है और इस सुन्दरता को नष्ट करने चली है

लेकिन धरती की धरा का हर जन आज जागरूक है

इस सुंदरता को बक़रार रखने में जुटा है , तीन आर अपना रहा है

आज़   हम मिलकर अपनी धरा का सम्मान करें हम आओ मिलकर पेड लगाएँ

अपनी तंदरूस्ती को फिर पाएं अपनी संतति को खुशहाल वातावरण प्रदान करें

आओ मिलकर पेड़ लगायें और अपनी धरती धरा

को सम्मान दिलाएं।

2 comments:

neeshi said...

Earth day on 4/21/2017 Subcontinental drift Boston

Anju said...

Hi Neena Auntie,

I remember you reading this poem when I performed at SubDrift in April 2017! I'm so excited by your work, even though my own Hindi/Urdu skills are a little rough. Thank you for sharing your blog with me, and I can't wait to keep reading and hearing your poems!

Warmly,

Anju