Sunday, January 10, 2016



मानो ना मानो मैंने खेली होली आज डटकर


होली आज खेली मैंने

मानो ना मानो मैंने खेली होली आज डटकर

 खूब अबीर गुलाल उड़ाया पूरे कुनबे में डटकर

काले गोरे भूरे चिकने सभी चेहरे रंग डाले  मैंने डटकर

फिर पिलाई सारे मेहमानों को भाँग मिली ठंडाई डटकर

मानो ना मानो मैंने खेली होली आज डटकर

मानो ना मानो सारी मंडली नाच उठी फिर झूमकर

ढोलक की थाप पर, पायल की झनकार पर होली का संदेश गूँज उठा फिर पूरे कुनबे में डटकर 

मानो ना मानो मैंने खेली होली आज डटकर

खूब हल्ला गुल्ला और हुड़दंग मचाया सबने डटकर 

होली के नेह रंगों से भीगी सारी मंडली डटकर 

भूल ना पाये कोई होली ऐसी रंगो की बौछार हुई कि रिता ना छोड़ा मैंने   किसीको डटकर 

तुम भी खेलो होली ऐसी डटकर 

छोड़ो अकड़ आज तो झुका लो अपना सिर अपनी राधा रानी के आगे 

करो सामना फिर उसके डंडों का तुम डटकर 

मत समझो खुद को कान्हा से तुम कम 

क्योंकि कान्हा ने हँस कर खाए बरसाना में राधा रानी के पीहर के डंडे डटकर 

बना प्रेम फिर उनका अलौकिक 

पावन हुआ होली का यह पर्व 

क्योंकि हर होली में आता है हर प्रेमी कान्हा के रूप में और हर बाला सज जाती है राधा रानी के परिधान में 

अमर प्रेम फिर कहलाता उनका 

इसलिए खेलो तुम होली आज डटकर 

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