Sunday, January 10, 2016

भारत में भारत की एक बेटी

क्या हुआ क्या हुआ क्या हुआ क्या हुआ

श -----------चुप बिलकुल चुप

तन मन दोनों से घायल हुई एक मासूम लड़की अपने ही आप में सिमट रही है

अपने ही समाज में अपनों से ही छुपने के लिये एक सुरक्षित कोना ढूँढ रही है

चुप रहने के लिये मजबूर है

बोले भी तो किस -किस के खिलाफ वह बोले

अपने ही चाचा ,मामा  ताऊ , या सौतेले भाई के खिलाफ बोलकर अपने ही 

परिवार पर कीचड़ उछाल दे या फिर उस कीचड़ मेँ रौंदी अपनी अस्मत को समेटे।


या फिर पडोस के उस हीरो लड़के के खिलाफ बोले जो हर रोज़ अपनी 

फटफटी स्कूटर पर एक नई लड़की को घुमाता है


जिसका बाप नेता बन कर दिन में नारी सुरक्षा पर सबसे ऊँची आवाज़ में भाषण देता है


और रात को बाप बनकर अपने ही बेटे के कुकर्म छुपाने के हवा में नोटों की गड्डियां उछाल देता है


ऐसे नेता और उसकी भ्रष्ट और ढोंगी सरकार उसे क्या न्याय दिलायेंगे ?


न्याय की तो उसने कोई उम्मीद भी नहीं लगाई है


उसके मन में एक छोटी सी इच्छा कहीं दबी छुपी पल रही है


वह अपने बचपन का एक पल फिर से जीना चाहती है जब वह अपने बाबुल 

के आँगन में भोली ,नादान , अल्हड़ सी बच्ची बन तितली के पीछे भाग रही 


है  काश कि भागते भागते वह भी एक तितली बन जाये और  बाबुल के 


आँगन में उड़ती रहे उड़ती ही रहे क्योंकि लडकी बनकर वह जी ना पायेगी 


वह तितली बनेगी क्योंकि तितली उड़-उड़ जाती है हाथ किसी के ना आती है.

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